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भूख री जातरा / ओम पुरोहित कागद
Kavita Kosh से
पापी मन
भोळै मन भेळै
करै जातरा
भूख रो भरमायो।
आदम भूख
पंखेरुआं नै
बस कर टोरै
थेलै रा दाणा
ठाह नी कद
हाथ आणा
पण
आस बगै
पसरी सड़कां।
भूख री जातरा
आपरै गेलां
बगै सरड़ाट
कदै ई इण पेट
कदै ई उण पेट।