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भूमिका / ककबा करैए प्रेम / निशाकर
Kavita Kosh से
अहाँ लग
धन अछि
बल अछि
संसारक सभ साधन अछि
मुदा,
ककरो
एक टुकड़ी सोहारी
एकटा नवका नूआ
आ एकटा घर देबाक लोभ दऽ
नहि छीनू ओकर धर्म
ओकर गरीबीकें ढाल नहि बनाउ
धर्मांतरण कराइयो कऽ
ओकरासँ अहाँ
ओकर संस्कारकें
उकनि नहि पायब कहियो
जड़िसँ।