भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भैणां / निशान्त

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भैणां रा दुःख
भाईयां स्यूं कमती कोनी हा
इयां बी कैय सकां
कै
दोनूंवां रा सुख दुख
हुवै भेळा ई
स्यात जद ई तो
काळ मांय ई
भाई रै घरां हुयड़ै
पोतै रो
ठा लागतां ई
भैणां आय’र
उगीर दिया
धेनड़िया ।