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मत आँगन में दीवार बना / रंजना वर्मा
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मत आँगन में दीवार बना
इस गुलशन को गुलजार बना
आंखों में हों कल के सपने
इन सपनों को साकार बना
सीमाएँ हों दुर्लंघ्य सदा
ऐसी अनुपम दीवार बना
है बाँह पसारे नीलाम्बर
तू उड़ने का आधार बना
टेढा मेढाके जीवन का पथ
इस परस् अपनी रफ्तार बना
दुश्मन भी भेद नहीं पाये
सेना की अगम कतार बना
क्या डरना झंझावातों से
निज हाथों को पतवार बना
धरती पर पांव टिकाए रख
मंजिल को पारावार बना
खबरें दुनियाँ की कह लेकिन
मत खबरों को हथियार बना