भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मन के कोना-कोना महकल / विजेता मुद्गलपुरी
Kavita Kosh से
साँसो में दिलवर के खुसबू
यौवन पर मंजर के खुसबू
मन के कोना-कोना महकल
आधी रात अधर के खुसबू
रितुपति ऐतें भेंट करलकै
गमकौआ सौगात हवा के
महुआ रहि-रहि गंध उलीचै
गम-गम गमकल गात हवा के
मन मदहोश भुलैलै सुध-बुध
मारक भेल नजर के खुसबू
झलके लागलै काम कने कन
फूल विहँसलै डाल-डाल पर
मन के मत रीत सब भूलल
नेह के थपकी परल गाल पर
मन में उफनल याद अ पसरल
सोलह पार उमर के खुसबू
अप्पन-अप्पन भाग सराहै
पागल भमर कली से खेलै
तितली नाचै पाय मधुर रस
घर-वन-वाग सुहावन लागै
बाँटे लगल हवा महकौआ
चहुँदिस आठ पहर के खुसबू