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मन रुक गया वहाँ (कविता) / अमृता भारती
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मन
रुक गया वहाँ
जहाँ वह था ।
नित्य और निरन्तर
गतिशील
लय की अनन्तता में
मन
रुक गया वहाँ
उसके अन्दर
जहाँ घर था ।