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माँ की याद सुहानी सी / रंजना वर्मा
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माँ की याद सुहानी सी
महिमा अकथ कहानी सी
ममता का पीयूष लिये
सरिता भरी रवानी सी
सुत का ही कल्याण रहे
सुविधा आनी जानी सी
आँचल में बहती माँ के
पय की धारा पानी सी
रहे निरक्षर चाहे पर
सन्तति के हित ज्ञानी सी
हो कुछ पास नहीं माँ के
पर है अविरल दानी सी
रहती है नित अधरों पर
वेद ऋचा की बानी सी
रुष्ट नहीं हो पाती माँ
लेकिन रहती मानी सी
सदा निवास करे उर में
माँ गंगा-कल्याणी सी
रिद्धि सिद्धियाँ सब माँ के
आगे भरती पानी सी
स्वयं ईश गोदी खेले
अचल लोक की प्राणी सी