भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मालिक है सच में वही / त्रिलोक सिंह ठकुरेला

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मालिक है सच में वही, जो भोगे, दे दान।
धन जोड़े, रक्षा करे, उसको प्रहरी मान॥
उसको प्रहरी मान, खर्च कर सके न पाई।
हर क्षण धन का लोभ, रात दिन नींद न आई।
'ठकुरेला' कविराय, लालसा है चिर-कालिक।
मेहनत की दिन रात, बने चिंता के मालिक॥