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मुखबिर थाने आते रहना / एक बूँद हम / मनोज जैन 'मधुर'
Kavita Kosh से
हर हफ्ते तू हमें गाँव की
आकर खबर सुनाते रहना
मुखबिर थाने आते रहना
मुखिया के बेटे ने बदला
किसको मारा चॉंटा
किसने किसकी भैंस चुराई
किसने किसको डॉंटा
रख यह गड्डी मुए जेब में
मेरे जड़ें जमाते रहना
मुखबिर थाने आते रहना
अबकी बार सुना है जनता
हमसे है कुछ रूठी
सच बतला रे कौन शिकायत
लेकर आया झूठी
ले आ अब ठर्रे की बोतल
पीते और पिलाते रहना
नगर सेठ के घर में किस दिन
पड़वायेगा डाका
बता पंच की बेटी से कब
भिड़वाएगा टॉंका
ले जा इसको पिछवाड़े से
रोज बदल कर लाते रहना
मुखबिर थाने आते रहना