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मुखौटे और रात / रजनी अनुरागी
Kavita Kosh से
रात होते ही उतर जाते हैं मुखौटे
और दिखने लगते हैं भयावह मुखड़े
ऐसे में आता है एक ख्याल
मुखड़े भयानक हैं या रात