भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मुझे मनुष्य नहीं बनना / नीरव पटेल / मालिनी गौतम

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जन्तु बनकर जीना मंज़ूर है
मुझे मनुष्य नहीं बनना

मैं कम से कम इन्द्रियों में काम चला लूँगा
मैं अमीबा बनकर जी लूँगा
मुझे नहीं चाहिए पंख
मुझे नहीं छूना आकाश
मैं पेट के बल सरकूँगा
साँप या छिपकली बनकर

चाहे आकाश में उड़ जाऊँ
घास या रजकण बनकर
अरे, मैं फ्रूजो के टापू पर
फ्राइड बनकर रह लूँगा
पर मुझे मनुष्य नहीं बनना

मुझे अस्पृष्य मनुष्य नहीं बनना
मुझे हिन्दू मनुष्य नहीं बनना
मुझे मुस्लिम मनुष्य नहीं बनना ।

अनुवाद : मालिनी गौतम