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मुद्दत से आँख नहीं झपकी / कुमार अनिल
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मुद्दत से आँख नहीं झपकी
है कहाँ वो माँ वाली थपकी
उस सुख को क्या बतलाऊँ
पापा कह कर बिटिया लपकी
आँसू बनकर फिर लाचारी
उन बूढी आँखों से टपकी
फिर आज पिता ने बच्चा बन
वर्षा के जल में छप छप की
फिर बहुत दिनों के बाद आज
हमने भी खुद से गपशप की/>