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मेरे अल्फ़ाज़ - एक नज़्म / श्रद्धा जैन
Kavita Kosh से
वो हसरतें
जो तुम तक पहुँचने से पहले
रास्ते में ही दम तोड़ गयीं
वो बेबसियाँ और ख़ामोशियाँ
जिन से तुम उम्र भर
रहे गाफ़िल
ख़्वाब ओ ख़याल
मैंने बुन दिए हैं
ग़ज़लों में और
नज्मों में.......
ये अलफ़ाज़ नहीं
छोटी-छोटी कब्रें हैं
जिनमें दफ़्न है
वो सारी बातें
जो कभी मेरे दिल से
बाहर नहीं आई