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मेरे समाज की हालत / शेरजंग गर्ग
Kavita Kosh से
मेरे समाज की हालत सही-सही मत पूछ
कहाँ-कहाँ से गया टूट आदमी मत पूछ
सुकून ढूँढती आँखों में बेशुमार सवाल
हसीन आरज़ू आख़िर कहाँ गई मत पूछ
हरेक शख़्स है शामिल जहाँ नौटंकी में
वहाँ है कामुदी ज़्यादा या त्रासदी मत पूछ
ख़ुदी के नाम पर ख़ुदग़र्ज़ियों की बन आई
महान देश ने कर ली क्यों ख़ुदकशी मत पूछ