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मैं क्या छतमुत तुतलाता हूँ? / रमेश तैलंग

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दुलिया दीदी,
छत-छत तहना,
मैं त्या छतमुत तुतलाता हूँ?

छब तहते हैं
मुझे तोतला ,
तोई तहता
अले छोतला।
धिछुम-धिछुम हो जाती मेली,
जब भी गुच्छा हो जाता हूँ।

डब्बू-बब्बू
जो भी आता,
मुझ पल अपना हुतम तलाता,
मैं ही हूँ जो झतपत-झतपत,
ताम छभी ते तल आता हूँ।