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मोहें गहना ना गढ़ावा / जगदीश पीयूष
Kavita Kosh से
मोहें गहना ना गढ़ावा।
मोहें टोनवा ना लगावा॥
मोहें झारा नाहीं लइके लोहबान मितवा।
मोहें मारा न नजरिया कै बान मितवा॥
हरिना अंखिया चोरावे।
चन्दा गलवा चोरावे॥
कोयल बोलिया चोराय छेड़ै तान मितवा।
मोहें मारा न नजरिया कै बान मितवा॥
सुआ नकिया चोरावे।
बिजुरी दंतवा चोरावे॥
मोरे सजना चोरावा थें परान मितवा।
मोहें मारा न नजरिया कै बान मितवा॥