म्हारी सराह म्हं उतपणा के लिए / दयाचंद मायना
म्हारी सराह म्हं उतपणा के लिए मतना नाम सौदागर
परत्रिया पै नीत डालणी, खोटे हो सैं काम सौदागर...टेक
के बूझैगा परत्रिया नै, बड़े-बड़ा के धर्म डुबोए
मुर्गा बणकै बाँग दई थी, पाछै चन्द्रमा भी रोए
शीलवती तै इश्क लड़ाकै, नारद भी बान्दर से होए
भस्मासुर कैसे बलकारी परत्रिया नै छण म्हं खोए
रूप दिखाकै अकल मारी, जब नाचे थे घनश्याम सौदागर...
परत्रिया तै इश्क लड़ाकै, बड़े-बड़े मुँह पिटवा बैठे
चीतां की तै गिणती के सै, शेर बब्बर बल घटवा बैठे
रोमा गौरी कारण बाली, चौड़े म्हं सिर कटवा बैठे
सोने की लंका नै रावण, सीता कारण लुटवा बैठे
मिनटां म्हं धूमां उठ्या, जब चढ़गे थे दल राम सौदागर...
श्रीकृष्ण की मांग ब्याह्वण नै, एक देशां का ऊत छटा था
कुन्दनपुर मैं भीष्म के घर, रुक्मण पै शिशुपाल पटा था
द्रोपदी तै इश्क लड़ाकै, कीचक कितनी देर डटा था
उसी द्रोपदी कारण मूर्ख, महाभारत में कुटुम कटा था
अठारा दिन म्हं खाली होगे, हस्तिनापुर के गाम सौदागर...
जै माणस पुन दान करै तै, धर्म हाथ म्हं पीसा आज्या
अकल रही बुद्धि के फेरे मैं, ज्ञान दूध म्हं घी-सा आज्या
सामण, कैसी घटा ऊठकै, हवा चालकै मींह-सा आज्या
यो फल टपके म्हं पक र्हा सै, घूंट भरै नै जी-सा आज्या
‘दयाचन्द’ के रागां के झड़ै आंधी कैसे आम सौदागर...