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यह रहा उसका घर-10 / गगन गिल
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यह रही सीढ़ियाँ
तिलिस्मी
ऊपर आती हैं जो
नीचे संसार छोड़
इन्हीं से होता है शुरू
खेल सारा
यहीं पर मिलती है
कभी-कभी
जादूगरनी एक
जितना वह हँसती है
उतना वह रुलाती है
इस घर के देवताओं को