भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
योजनाओं का शहर-3 / संजय कुंदन
Kavita Kosh से
जो दुनियादार थे वे योजनाकार थे
जो समझदार थे वे योजनाकार थे
एक लड़का रोज़ एक लड़की को
गुलदस्ता भेंट करता था
उसकी योजना में
लड़की एक सीढ़ी थी
जिसके सहारे वह
उतर जाना चाहता था
दूसरी योजना में