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रथवान साथ है / उर्मिल सत्यभूषण

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रथवान ग़र है साथ तो रथ का भी मान है
बिन सारथी के रथ ये अर्थी के समान है
अपने विचारों का ज़रा रुख तो बदल के देख
जो सोचिये मिल जायेगा यह ही विधान है
मुरली की धुन सुनने लगे हैं कान जब से ये
दिल को मिला है चैन और तन में जान है
छूनी पड़ें गर सूलियां तो वो भी छू लेंगे
ये आशिको की राह तो लोहूलुहान है
तप-तप के तुम कुंदन बनोगे और पारसा
यह प्रेम की अग्नि ही तेरी आनबान है।