भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रनुबाई का अंगणा मऽ ताड़ को झाड़ / निमाड़ी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

रनुबाई का अंगणा मऽ ताड़ को झाड़
माता ताड़ को झाड़, वहाँ रहे देवी को रहेवास।
माता आड़ी रूळतो घागरो, न कड़ी रूळता केश,
माता गोदी लियो बाजुड़ो, न पेळो पेरी जाय।