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रिश्ते सूखे फूल गुलाबों के / अश्वनी शर्मा

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रिश्ते सूखे फूल गुलाबों के
भूले जैसे हर्फ किताबों के।

ये मिलना भी कोई मिलना है
इससे अच्छे दौर हिजाबों के।

सीधी-सच्ची बातें कौन सुने
शैदाई हैं लोग अजाबों के।

दौर फकीरी का भी हो जाये
कब तक देखें तौर रूआबों के।

कई सवारों ने ठोकर खाई
किसने जाने राज रकाबों के।

ना छिपता, ना पूरा दिखता है
जाने पीछे कौन नकाबों के।

जारी देखो अब भी बेगारी
गुजरे चाहे दौर नवाबों के।