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रेत / मुइसेर येनिया
Kavita Kosh से
वे मेरा दिल ले गए और छोड़ गए यहाँ
पूरा का पूरा
अपनी रेत के साथ
मौसम इतना शान्त है
कि ख़ामोशी के परिन्दे जाग रहे हैं
रोशनी नहीं पर अँधेरा चाहिए भीतर
ताकि उन आँखों को बन्द कर सकूँ जो खुली रहना चाहती हैं
जिसने हमे जन्म दिया है
उसी ने दर्द को भी पैदा किया
क्या नहीं ?
उन्होंने छोड़ा मुझे यहाँ
रेत की तरफ
पहाड़ की तरह देखते हुए
यदि मेरी त्वचा रह जाती अपनी माँ के ही भीतर
मैंने उससे कुछ भी नहीं माँगा होता ।