भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

लघु जीवन / महेन्द्र भटनागर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

फूलों का संसार हमारा है !

उज्ज्वल हास लुटाते हैं

मधु मकरंद उड़ाते हैं
मारुत पेंग सुहाते हैं

झंकृत उर हर तार हमारा है !

ले लो हार बनाने को
भर लो माँग सजाने को
सूना गेह बसाने को

भोला-भोला प्यार हमारा है !

हमको देख लजाओ ना
छलना भाव जताओ ना
इतना हाय सताओ ना

दो पल का शृंगार हमारा है !
फूलों का संसार हमारा है !