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लता-गुल्म / अन्योक्तिका / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
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तुलसी - ने फूल फूल क रुचि विशद श्यामा तुलसी-गाँज
कहओ तदपि तनिकहि पुजय दीप लेसि धनि साँझ।।36।।
पान - मह - मह फूल वितान, ने गमगम फल अछि लदल
केवल पाते पान, रसिक अधर रङि अछि सफल।।37।।
अमरलत्ती - ने जड़ि ने फल-फूल, पता न पात क, डाँट टा
किन्तु भाग्य समतूल, अमर-लती अछि वैह टा।।38।।