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लूर / सुधीर कुमार 'प्रोग्रामर'

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बढ़ियां से राखॉे सब बसता
मन कॅ राखो हरदम हँसता
लूर जरूरी आरो ससता
बायां तरफें चलिहोॅ रसता।

रूक्खों-सुक्खों सब खैने जा
बढ़िया सॅे सब बतियैने जा
मिली-जुली रहला से बाबू
भारी काम लगै छै ससता,
बढ़ियां से राखॉे सब बसता।