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लौटती जनता / प्रेमशंकर रघुवंशी
Kavita Kosh से
वे, सड़क, पानी
बिजली को मुद्दा बनाते
और वे, मंदिर-मस्जिद को
और दोनों की
सभाएँ सुनकर लौटती जनता
पहले से ज़्यादा
गंजापन लिए
सिर पर हथेलियाँ फेरती-
घर लौट आती है।