भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
वर्तमान / गंग नहौन / निशाकर
Kavita Kosh से
वर्तमान
वर्तमान वीभत्से नहि होइत अछि
ओहिसँ शृंगार सेहो हुलकी दैत अछि।
वर्तमान
मात्र तीन नहि होइछ
मीठ सेहो लगैत अछि।
वर्तमान
मात्र गिरगिट जकाँ रंगे नहि बदलैछ
माय-सन दुलार सेहो करैत अछि।
वर्तमानक गर्भमे
मात्र अपहरण, नरसंहार आ बलात्कारे नहि पोसाइत अछि
धर्म, सेक्स आ कला सेहो पोसाइत अछि।