भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वह अँधेरी रात / रामगोपाल 'रुद्र'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आली! वह अँधेरी रात!

कामना-सी तारिकाएँ
भग्न किस उर की कथाएँ
मौन इंगित से बताना
चाहतीं क्या बात?

याद-से कुछ मेह छाए,
दाग-सा दिल में छिपाए,
पूछता किसका पता, यह
बावला-सा वात?

मुग्ध सुख की कल्पना से,
स्वप्न से, छाए कुहासे;
किस निठुर का नाम रटते
तोड़ते दम, पात?