भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वास्ता बहरों से मुद्दा असल / प्रेम भारद्वाज

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वास्ता बहरों से है मुद्दा असल
कौन गाए गीत होती क्या ग़ज़ल

पेच तारें करंट गुम चोटें कई
गाँव यह इतना कहां था टक्निकल

क्या करेंगे वैद या हों दाइयाँ
केस ही हो चुका जब सर्जिकल

साथ जीवन मरण का जिनसे रहा
देखकर हैं भागते हमको डबल

पोत लेते वो पुरानी ओबरी
फिर बिछाते आँगनों में मारबल

प्रेम की कोई थियोरी है कहां
आप खुद ही कीजिएगा प्रक्टिकल