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विदूषक समय / लक्ष्मीकान्त मुकुल

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सबसे सुंदरतम् पक्ष
आसान नहीं होता ढूंढ़ना
सिर लुकाउफ ढलवां छतों पर
कोई चाहे तो उतार ले आये
आकाश की अलगनी पर का टंगा चांद
सबसे कठिन पलों की कल्पना में ही
टिका होता है सबसे कठिन निर्णय
जीवनानुभवों की धुरियों पर घूमते हुए
निर्णय की अवस्था में अनिर्णति स्वप्नों का
झीना-झीना सा जाल ढंकता है
सूर्योदय की पीली किरणों के साथ
सूखे शून्य में
सांसें छोड़ती
जोड़ती संवेदनाओं के तंतुओं का
मनोभावों की लहरियां कम नहीं होतीं
उबलती आंच में भी
इस विदूषक समय की।