भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatGhazal}}
<poem>
आने वाले दिनों में क्या होगा
कुर्बतें या कि फासला होगा
किसने जाना कि कल आज रोता है क्या वो तो रोने दोआज वो खुद से मिल गया होगाकुरबतें या के फ़ासला जिंदगी तू जो हार जायेगीमौत को इससे हौसला होगा
आज रोया है वो तो रोने दोफूल की ताज़गी से डर सा लगे हो न हो ख़ुद जल्द ही शाख़ से वो मिला जुदा होगा
चाँद जो पल में बन गया मिट्टीरात दिन किस तरह जला कोई तो हमख़्याल होगा ज़ुल्म करता नहीं वो बन्दों परआज दुनिया का रब जुदा होगा यूँ न ढूँढों यहाँ वफ़ा "श्रद्धा"तन्हा-तन्हा-कोई तो मुझ सा रास्ता सिरफिरा होगा
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
3,286
edits