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औरत-5 / किरण येले

3 bytes added, 17:14, 12 दिसम्बर 2010
<poem>
समझ नहीं आता कैसे
औरते औरतें जागती हैं सवेरे सबसे पहले,
उठती हैं
रसोईघर में जाती हैं,
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