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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=प्रदीप मिश्र|संग्रह= }} {{KKCatKavita}}<poem>'''दे रहा हूँ शुभकामनाएँ'''  
बच्चों की मुस्कान को
किसानों के खलिहान को
दे रहा हूँ शुभकामनाएँ।
प्रेम के उफान उफ़ान को
हृदय की जुबान को
संस्कृति की आन को
धर्म के इमान को
दे रहा हूँ शुभकामनाएँÄशुभकामनाएँ ।
कलैण्डर के दिनमान को
भविष्य के अनुमान को
भोर के अनुसंधान को
दे रहा हूँ शुभकामनाएँ। शुभकामनाएँ ।
</poem>
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