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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=प्रदीप मिश्र|संग्रह= }} {{KKCatKavita}}<poem> '''करोगी तुम प्यार'''
पेड़ पौधों से
करोगी तुम प्यार
करोगी तुम प्यार
वे भविष्य की भयावहता से
समन्दर से