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एक आदमी होता था / अजेय

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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=अजेय|संग्रह=}}{{KKCatKavita}}<poem>पहले एक गोरेय्या गौरैया होती थी
एक आदमी होता था
लेकिन आदमी इतना ऊँचा उड़ा
कि गोरेय्या गौरैया खो गई!
पहले एक पहाड़ होता था
.... पहले एक आदमी होता था.
04 मई 4, 2010. , कुल्लू
</poem>
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