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उसके आसपास पडी थीं
शराब की बोतलें, फ्राई फिश के कांटें
और चिकेन की चिचोरी गयी हद्दियांहड्डियांब्रा और अण्डरवियर के चिथडेचिथड़े
समीज-शलवार की रक्त-रंजित लुगदियां
और उसकी देह और होश के असंख्य हिज्जे
बमुश्किल खुलती पलकों से
बिखरी पडी पड़ी अंगुलियों को हथेलियों में समेटकर
उदर और नितम्ब को बटोरकर
हिलाते हुए उसने अहसासा
हृदयंगम पीडाओं पीड़ाओं को नाखुनों में
तभी सांस चल पडी अनचाहे
उसका जी मितलाने लगा
वह चींखी नहीं,
बिलखी और बडबडाई बड़बड़ाई नहीं,
घिघिया-रिरियाकर
मदद के लिए
दर्द का ज्वालामुखी फूट रहा था
कमनीयता की क्षत-विक्षत लाश बस्सा रही थी
वह वापस कांटों पर लेट गयी
और उसकी देह पर
स्मृतियों पर खौफ़ हावी हो गया