भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|संग्रह=अशुद्ध सारंग / हेमन्त शेष
}}
{{KKCatKavita}}<poem>
मायने बदल जाएंगे
फूलों के
आयु के साथ
तब न होगा
सन्ताप
न चाह
कि बेसाख़्ता तोड़ लें
वृक्ष से
एक ख़ुशी
और इस बात को
तत्काल भूल जाएँ
</poem>