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मन में मेरे चाह यही थी
तू मिलेगी मुझको तेरा प्यार मिलेगा
विरहाकुल मन को मेरे
तेरे उर का सार का मिलेगा
यही सोच मैं कलरव करता
दृष्टि धुंधली धुँधली हो गई मेरी
शेष अब कोई राह नहीं थी