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17:27, 21 जनवरी 2011
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yah testing hai द्वार खुल गए अब भवनों के, शून्य पथों मेंशून्य घाटियों में सरिता के शून्य तटों पर shigra hi rachana bhi जाग उठीं जीवन समुद्र की मुखर तरंगें पृथ्वी के शैलों पर, पृथ्वी के विपिनों पर ankit ki jayegi॥पृथ्वी की नदियों पर पड़ी स्वर्ण की छाया उदित हुए दिनकर इनकी पूजा से घिर कर
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