भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कमरा / मंगलेश डबराल

39 bytes added, 14:02, 10 जून 2020
|संग्रह=हम जो देखते हैं / मंगलेश डबराल
}}
{{KKCatKavita}}{{KKVID|v=e26UYt415Uk}}<poem>
इस कमरे में सपने आते हैं
 
आदमी पहुँच जाता है
 
दस या बारह साल की उम्र में
 
यहाँ फ़र्श पर बारिश गिरती है
 
सोये हुओं पर बादल मंडराते हैं
 
रोज़ एक पहाड़ धीरे-धीरे
 
इस पर टूटता है
 
एक जंगल यहाँ अपने पत्ते गिराता है
 
एक नदी यहाँ का कुछ सामान
 
अपने साथ बहाकर ले जाती है
 
यहाँ देवता और मनुष्य दिखते हैं
 
नंगे पैर
 
फटे कपड़ों में घूमते
 
साथ-साथ घर छोड़ने की सोचते
 
(1989 में रचित)
</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader
17,020
edits