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<poem>
हम मुसाफिर युँही मसरूफे सफर जायेंगे,
बेनिशाँ हो गए जब शहर तो घर जायेंगे
"फैज़" आते हैं राहे-इशक में जो सखत मकाम,
आने वालों से कहो हम तो गुज़र जायेंगे...........
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01. # मेहर-ओ-वफा - मुहबबत और वफा02. # बाज़ारे-सुखन - शायरी का बाज़ार03. # अलमास-ओ-गुहर - कीमती पथतर04. # बैत - शेयर या दोहा05. # हुदी-खवाँ - गाने वाला राहगीर
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