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Kavita Kosh से
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हम मुसाफिर युँही मसरूफे सफर जायेंगे,
बेनिशाँ हो गए जब शहर तो घर जायेंगे
"फैज़" आते हैं राहे-इशक में जो सखत मकाम,
आने वालों से कहो हम तो गुज़र जायेंगे...........
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