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सुझाई गयी कविताएं

12 bytes added, 10:00, 5 अक्टूबर 2007
छिप के कारोबार करना चाहता है
 
घर को वो बाज़ार करना चाहता है।
 
आसमानों के तले रहता है लेकिन
 
बोझ से इंकार करना चाहता है ।
 
चाहता है वो कि दरिया सूख जाये
 
रेत का व्यौपार करना चाहता है ।
 
खींचता रहा है कागज पर लकीरें
 
जाने क्या तैयार करना चाहता है ।
 
पीठ दिखलाने का मतलब है कि दुश्मन
 
घूम कर इक वार करना चाहता है ।
 
दूर की कौडी उसे लानी है शायद
 
सरहदों को पार करना चाहता है ।
 
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