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{{KKRachna
|रचनाकार=त्रिलोचन
}}
फूल मेरे जीवन में आ रहे हैं<br><br>{{KKPustak|चित्र=--सौरभ से दसों दिशाएँ<br>|नाम=तुम्हे सौंपता हूँभरी हुई हैं<br>|रचनाकार=[[त्रिलोचन]]मेरी जी विह्वल है<br>|प्रकाशक=--मैं किससे क्या कहूँ<br><br>|वर्ष= 1985|भाषा=हिन्दीआओ <br>|विषय=कविताअच्छे आए समीर <br>|शैली=--जरा ठहरो<br>फूल जो पसंद हों, उतार लो<br>शाखाएँ, टहनियाँ<br>हिलाओ, झकझोरो<br>जिन्हे गिरना हो गिर जायें<br>जाएँ जाएँ<br><br>|पृष्ठ=--|ISBN=-- पत्र|विविध=--पुष्प जितने भी चाहो<br>अभी ले जाओ<br>}}जिसे चाहो, उसे दो<br><br> लो जो भी चाहे लो<br>जिसे चाहो, उसे दो<br><br> लो <br>जो भी चाहो लो<br><br> एक अनुरोध मेरा मान लो<br>सुरभि हमारी यह<br>हमें बड़ी प्यारी है<br>इसको सँभालकर जहाँ जाना<br>ले जाना<br><br> इसे तुम्हे सौंपता हूँ।<br><br> ( कविता संग्रह, * [[तुम्हे सौंपता हूँ से ). / त्रिलोचन]]