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नहीं दरिया तो हो सराब कोई
रात बजती थी दूर शहनाई
रोया पीकर बहुत श्ाराब शराब कोई
कौन सा ज़ख्म ज़ख़्म किसने बख्शा बख़्शा है
उसका रखे हिसाब कोई
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