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वृन्द के दोहे / भाग १

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देखो, सबही श्याम को, कहत ग्वालन ग्वाल ॥ 1<br><br>
अपनी पहुँ विचार पहुँच विचारिकै, करतब करिये दौर ।<br>
तेते पाँव पसारिये, जेती लाँबी सौर ॥ 2<br><br>
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