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{{KKRachna
|रचनाकार=ज़िया फतेहाबादी
|संग्रह=
}}
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<poem>
:शीशमहल से राजकुमारी प्रेम कुटी में आई
:जँगल की सुनसान फ़िज़ा ने ली इक मस्त अँगड़ाई
:डाली डाली झूम उठी, पत्ती पत्ती लहराई
:सुन्दर आशाओं की दुनिया हृदय में मुस्काई
:आँखें मनमोहन, मधमाती, मतवाली, दीवानी
:सुन्दर पेशानी पर बल यूँ जैसे हो अभिमानी
:काँधों पर गेसू लहराए, मुख में सुन्दर बानी
:जाग उठी कुटिया की क़िस्मत दूर हुआ अँधियारा
:फैल गया कोने कोने में दर्शन का उजियारा
:जँगल में मँगल हो जैसे कोई नहीं दुखियारा
:प्रेम कुटी के हर ज़र्रे पर छाई है मदहोशी
:साक़ी की आमद पर जैसे रिन्दों की मयनोशी
:दिल में इक जज़्बात का तूफाँ होंठों पर ख़ामोशी
:क्यूँकर इस्तिकबाल करूँ मैं कौन से नगमे गाऊँ
:और तो कुछ भी पास नहीं है जीवन भेंट चढ़ाऊँ
:मैं तो ख़ुद हूँ प्रेम पुजारी, प्रेम की भिक्षा पाऊँ
:शीशमहल का, प्रेम कुटी का सारा भेद मिटाऊँ
:ऐसे आलम में खो जाऊँ, महव इतना हो जाऊँ
:शीशमहल से राजकुमारी प्रेम कुटी में आई
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:शीशमहल से राजकुमारी प्रेम कुटी में आई
:जँगल की सुनसान फ़िज़ा ने ली इक मस्त अँगड़ाई
:डाली डाली झूम उठी, पत्ती पत्ती लहराई
:सुन्दर आशाओं की दुनिया हृदय में मुस्काई
:आँखें मनमोहन, मधमाती, मतवाली, दीवानी
:सुन्दर पेशानी पर बल यूँ जैसे हो अभिमानी
:काँधों पर गेसू लहराए, मुख में सुन्दर बानी
:जाग उठी कुटिया की क़िस्मत दूर हुआ अँधियारा
:फैल गया कोने कोने में दर्शन का उजियारा
:जँगल में मँगल हो जैसे कोई नहीं दुखियारा
:प्रेम कुटी के हर ज़र्रे पर छाई है मदहोशी
:साक़ी की आमद पर जैसे रिन्दों की मयनोशी
:दिल में इक जज़्बात का तूफाँ होंठों पर ख़ामोशी
:क्यूँकर इस्तिकबाल करूँ मैं कौन से नगमे गाऊँ
:और तो कुछ भी पास नहीं है जीवन भेंट चढ़ाऊँ
:मैं तो ख़ुद हूँ प्रेम पुजारी, प्रेम की भिक्षा पाऊँ
:शीशमहल का, प्रेम कुटी का सारा भेद मिटाऊँ
:ऐसे आलम में खो जाऊँ, महव इतना हो जाऊँ
:शीशमहल से राजकुमारी प्रेम कुटी में आई