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चांद की कविता / मंगलेश डबराल

34 bytes added, 17:55, 1 अप्रैल 2011
|रचनाकार=मंगलेश डबराल
|संग्रह=हम जो देखते हैं / मंगलेश डबराल
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जैसे ही हम चांद की तरफ़ देखने को होते हैं कहीं पास से एक कुत्ते