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'''लेखन वर्ष: 2003'''
कितने ही ज़ख़्म चाक हुए तेरे जाने के बाद
हुए तेरी हसरत में मुए तेरे जाने के बाद
सोहबत <ref>साथ</ref> किसी दोस्त की रास न आयी हमेंअजनबी से दोस्तों में अलग-अलग सबसे रहे तेरे जाने के बाद
दिल का हर टुकड़ा हर एक साँस पे रोता है
हम उसके आँसू पोंछा किये तेरे जाने के बाद
तुम मिल जाओ अगर ज़ीस्त <ref>जीवन</ref> मिल जाये हमेंमुझकोजिस्म अपना को बचाते रहे तेरे जाने के बाद
उज्र <ref>कारण, उत्सव</ref> हमको नहीं था तुमसे बात करने को
फिर भी नज़्म लिखते रहे तेरे जाने के बाद
तुमसे जो मरासिम <ref>बंधन</ref> है हमारा मेरा वो इश्क़ ही हैहम जी से इसे जिसे निभाते रहे तेरे जाने के बाद
फ़िराक़ <ref>दूरी</ref> ने साँसों में इक गाँठ कुछ गाँठें लगा दी है सनमहैंजतन ढेर छुटाने को के किये तेरे जाने के बाद
तमाशा गरचे गर्चे<ref>भला, यद्यपि</ref> अपनी मौत का किसने देखा हैनज़’अ <ref>आख़िरी साँस</ref> में साँस भरते ले रहे तेरे जाने के बाद
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