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'''लेखन वर्ष: २००३ /२०११'''
दिले-सहरा <ref>मरुस्थल रूपी हृदय</ref> में यह कैसा सराब <ref>मरीचिका, Mirage</ref> हैज़ख़्म मवाद है आँख मेरी बेआब आँख आब है
क्यूँ इश्क़ ख़ौफ़ खा ख़ौफ़ज़दा रहा है हिज्र सेनस-नस में मेरी मेरे कोई ज़हराब <ref>ज़हरीला पानी</ref> है
सुलगते हैं तेरे ख़्याल शबो-रोज़
गलता हुआ तेज़ाब में हर ख़ाब है
जुज़ <ref>केवल</ref> बद्र <ref>पूरा चाँद</ref> कौन मेरा रक़ीब <ref>दुश्मन</ref> जहाँ मेंमेरी ख़ाहिश को लाज़िम कैसा इक नक़ाब है
भटकती है ये नज़र किसकी राह मेंउल्फ़त को मेरी क्या-और क्या हिसाब है
ये ज़िन्दगी कब शक़ खाती है मौत सेमौत को भी ज़िन्दगी से क्या हिजाब हिज़ाब<ref>पर्दा, शर्म</ref> है
हर्फ़ मेरे और तसलीम नहीं देते
कि ‘नज़र’ को भी दर्द से क्या इताब <ref>गुस्सा, Rebuke</ref> है
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